शब्द व अर्थ |
शब्द व अर्थ |
शब्द व अर्थ |
शब्द व अर्थ |
अगत्य : आस्था |
अगम्य : न समजणारे |
ओनामा : प्रारंभ |
अनिल : वारा |
अंडज : पक्षी |
कनक : सोने |
अक्षर : शाश्वत |
तनया : मुलगी |
स्वेदज : किटक |
काष्ठ : लाकूड |
काया : शरीर |
तुरंग : घोडा |
अग्रज : थोरला भाऊ |
कुंजर : हत्ती |
खग : पक्षी |
नयन : डोळे |
चंडांशू : सुर्य |
धी : बुद्धी |
पंकज : कमळ |
पीयुष : अम्रुत |
मीन : मासा |
जान्हवी : गंगा नदी |
अंगना : स्त्री |
वैनतेय : गरुड |
वासर : वार |
समर : युद्ध |
आयुध : शस्त्र |
अवतरण : खाली येणे |
अनुग्रह : क्रुपा |
ओज : तेजस्वीपणा |
किंकर : सेवक |
इंदू : चंद्र |
जारज : पशू |
कांता : पत्नी |
कवल : घास |
अग्र : टोक |
उपाहन : जोडे |
कुरंग : हरिण |
अनुज : धाकटा भाऊ |
अंबुज : कमळ |
चक्षू : डोळे |
दिनकर : सुर्य |
भास्कर : सुर्य |
गवाक्ष : खिडकी |
नीरज : कमळ |
सुधा : अम्रुत |
व्याळ : सर्प |
अन्रुत : असत्य |
व्रुषभ : बैल |
सारिका : मैना |
क्षुधा : भूक |
आरोहन : वर चढणे |
अधर : ओठ |
कूजन : पक्षांचे गायन |
कुटीर : झोपडी |
अंत : शेवट |
अनादि : सुरुवात नसलेला |
अध्यापन : शिकवणे |
एतद्देशीय : याच देशातील |
अज्ञ : अजान, जाण नसलेले |
अक्षय : नाश न पावणारे |
आगामी : येणारे |
प्रतिगामी : सनातनी, मागे जाणारे |
राजी : खुषी |
उपजत : जन्मतःच |
उपांत्य : शेवटून दुसरा |
काराग्रुह : तुरुंग |
कंदुक : चेंडू |
ग्रस्त : त्रासलेला , व्यापलेला |
त्रुष्णा : तहान |
दांभिक : ढोंगी |
दांपत्य : पतीपत्नी |
दुर्धर : कठीण |
पर : पिस |
प्रबंध : व्यवस्था, सोय |
मेरू : एका (पौराणिक) पर्वताचे नाव |
वाली : कड घेणारा |
वैध : कायदेशीर |
व्यय : खर्च |
हाट : बाजार |
आदी : सुरुवात |
अध्ययन : शिकणे |
अनंत : अंत नसलेला |
अभ्युदय : भरभराट |
ओतप्रोत : काठोकाठ , सर्व बाजुंनी |
क्षय : अंत, नाश |
आगमन : येणे |
पुरोगामी : सुधारक,पुढे जाणारे |
इतराजी : नाराजी |
उध्युक्त : प्रव्रुत्त |
उध्यमशील : उध्योगी |
उबग : कंटाळा, वीट |
कुठार : कुर्हाड |
गूढ : आकलन न होणारे |
चौपदरी : चार पदर असलेली, झोळी |
ददात : कमतरता |
दंभ : ढोंग |
दुर्दशा : दु:स्थिती |
धवल : पांढरे |
परार्थ : इतरांसाठी |
मज्जाव : बंदी |
लालसा : अभिलाषा |
लोकोत्तर : थोर, असामान्य |
विवर : जमिनीतील मोठे छिद्र |
अवैध : बेकायदेशीर |
अव्यय : जोडणारे |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |
: |